रामचरित मानस

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दोहा : * जो नहिं देखा नहिं सुना जो मनहूँ न समाइ। सो सब अद्भुत देखेउँ बरनि कवनि बिधि जाइ॥80 क॥ भावार्थ:-जो कभी न देखा था, न सुना था और जो ...

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